बेरोजगार
आज फिर एक फॉर्म भर आया है,
एक नई उम्मीद जगा लाया है।
बचत के पैसे भी खर्च कर आया है,
एक बेरोजगार उम्मीद जगा लाया है।
दुनिया के ताने सुन सुन कर ,
अंदर से है वो टूट रहा।
एक नौकरी की खातिर,
हंसना मुस्कुराना वो भूल रहा।
नहीं याद उसे कब वो मुस्कुराया है,
एक बेरोजगार उम्मीद जगा लाया है।
बेरोजगारी का दंस झेल,
टूट चुका वो अंदर से।
नई भर्ती को आया देख ,
बोल उठा अंतर्मन से।
फिर से तैयारी का छाया साया है,
एक बेरोजगार उम्मीद जगा लाया है।
अब फिर कोचिंग के चक्कर काटो,
छोड़ो भूख और नींद को।
घरवालों से मिलना छोड़,
भूल गया त्योहारों को।
सोचता क्या परिणाम आने वाला है,
एक बेरोजगार उम्मीद जगा लाया है।
समय का उसे ध्यान नहीं,
भूल गया दिन रात को।
किताबों में खोया हुआ,
भूल गया अपने आप को।
मस्ती को खोते हुए आया है ,
एक बेरोजगार उम्मीद जगा लाया है।
इम्तिहान का दिन सुनकर ,
बढ़ती उसकी धड़कन है।
नींद भूख को भूल कर,
किताबों में लगी उलझन है
आज फिर एक इम्तिहान देने आया है,
एक बेरोजगार उम्मीद जगा लाया है।
आज फिर एक फॉर्म भर आया है,
एक बेरोजगार उम्मीद जगा लाया है।
लेखक : उमाकांत शर्मा
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