आखिर क्यूं?
जब किसी की आदत सी हो जाती है,
दुनियां हमारी खुशहाल हो जाती है।
खिलने लगती है कलियां गुलाब के जैसी,
जिंदगी जीने की वजह बन जाती है।
खोए रहते हैं हरदम खयालों में,
ना जाने कब सुबह से शाम हो जाती है।
खो जाता है दिन का चैन भी,
रातों की नींद भी उड़ जाती है।
ऐसा ही होता है ,
जब किसी की आदत सी हो जाती है।
फिर होता है कुछ यूं,
यादें यादें बन जाती है।
हो जाती है दुनियां वीरान,
जिंदगी नजर न आती है।
गिनते रहते है तारे रात भर,
रातें न कट पाती है।
ऐसा क्यूं होता है , जब किसी की आदत बन जाती है।
क्यूं कोई हमारी दुनिया में आता है,
आकर अपनी आदत बना कर चला जाता है।
जिंदगी जीने की वजह बनकर, जिंदगी वीरान करके चला जाता है।
Kyu.... Kyu...... आखिर kyu......
उमाकांत शर्मा
जयपुर (राजस्थान)
Comments
Post a Comment