नववर्ष
"बाबूजी, एक पेन ले लीजिए, सिर्फ दस रुपए का है।" ऋतिक ने देखा तो रोड पर एक 14 वर्ष। का लड़का जिसके कपड़े फटे हुए थे और सर्दी से कांप रहा था , पेन बेच रहा था।
ऋतिक ने पूछा, " बेटा, तुम पेन क्यों बेच रहे हो? और स्कूल क्यों नहीं गए?"
लड़के ने बड़ी मासूमियत से जवाब दिया - " बाबूजी पेन नहीं बेचूंगा तो रोटी कहां से खाऊंगा ? और बाबूजी मेरे पास इतने रुपए नहीं है कि मै किताब खरीद सकूं और पढ़ सकूं।"
ऋतिक की आंखें नम हो गई क्योंकि ऐसे दौर से वो भी गुजर चुका था।
ऋतिक ने पूछा -" बेटा आज तो न्यू ईयर है, क्या तुमने सेलीब्रेट नहीं की ?"
बच्चे ने मासूमियत से पूछा -" ये न्यू ईयर क्या होती है बाबूजी ?"
ऋतिक - बेटा, पुराना साल ख़तम हो गया और अब नया साल आ गया।
लड़का। - तो क्या नए साल में सभी को भरपेट खाना मिल पाएगा ?
अब ऋतिक अपने आंसू रोक नहीं पाया और बच्चे को गोद में उठाते हुए बोला , सबका तो नहीं पता बेटा, लेकिन आज से तू भूखा नहीं सोएगा।
तेरे परिवार में और कौन कौन है ?
लड़का बोला मै तो अनाथ हूं बाबूजी।
ऋतिक बोला आज से तू अनाथ नहीं बेटा, तू मेरे साथ चलेगा मेरे घर। और आज के बाद तुझे पेन बेचने की जरूरत नहीं तू स्कूल जाकर पढ़ाई करेगा।
(ऋतिक को भी कोई संतान नहीं थी, तो ऋतिक ने उसे गोद लेने का सोचा।)
ऋतिक ने बच्चे को गाड़ी में बिठाया और घर ले गया। घर जाकर अपनी पत्नी को सारी बात बताई , तो उसकी पत्नी भी मुस्कुराते हुए बोली, -" इस वर्ष भगवान ने हमें न्यू ईयर का नायाब तोहफा दिया है। आज से ये हमारा बेटा है।"
ऋतिक की आंखों में खुशी के आंसू थे, उसकी छोटी सी परिवार की बगिया में एक नया फूल जो खिल गया था।
उमाकांत शर्मा
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