हौंसला

 आजाद लवों का पंछी हूं, यूं ही चहचहाता रहूंगा।

तुम ताकते रहो आसमान, मैं पंखों से आसमां मापता रहूंगा।।


राह भी मिलेगी, मंजिल भी मिलेगी।

मंजिल को उसकी औकात दिखाता रहूंगा ।

सपनों के पंखों से आसमां मापता रहूंगा।।


देखे है जो ख्वाब मुकम्मल भी होंगे,

ख्वाबों को हकीकत बनाता रहूंगा।

आजाद लवों का पंछी हूं, मैं यूं ही गुनगुनाता रहूंगा।।


गिरूंगा, उठूंगा, फिर दौडूंगा, सफल राह की थाह भी लूंगा।

हौसलों को पस्त न होने दूंगा।

आजाद लवों का पंछी हूं यूं ही चहचहाता रहूंगा।।


उमाकांत शर्मा

जयपुर (राजस्थान)

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